आज भारत के माननीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीनो सेनाओं के अध्यक्षों के साथ भारतीय सेना की Agnipath योजना घोषणा की है जिसके अंतर्गत साढ़े 17 वर्ष से लेकर 21 वर्ष तक के युवक युवतियों की सेना के तीनो अंग थलसेना, वायुसेना और नौसेना में 4 वर्ष के लिए भर्ती की जाएगी है, जिन्हे Agniveer के नाम दिया गया है।
इस भर्ती के प्रथम चरण में आगामी 90 दिनों में, 40000 युवा व युवतियों को चुना जाएगा। इन को प्रथम वर्ष में 30000, द्वितीय वर्ष में 33000 तृतीय वर्ष में 36000 और चतुर्थ वर्ष में 40000 रुपए मिलेंगे जिसमें से 5.02 लाख फंड के लिए कटेगा। जब यह 4 वर्ष बाद इस से निकलेगा तब उसे 10.04 लाख मिलेंगे क्योंकि कटे फंड के बराबर का योगदान भारत की सरकार भी उसे देगी।
साथ में इन चुने लोगो में से ही चुने गए 25% लोगो की भर्ती भारतीय सेना में सीधे भर्ती होगी। शेष जब 4 वर्ष बाद भारतीय सेना छोड़ेंगे तब उनके पास योग्यता अनुसार शैक्षिक शिक्षा का सर्टिफिकेट तो मिलेगा ही जो सभी जगह मान्य होगा, साथ में जिस हुनर में वे प्रशिक्षित होंगे या अपनाया होगा उसका स्किल डेवलपमेंट का प्रमाणपत्र भी मिलेगा। भारत सरकार इतना करने के साथ ही उन्हें स्वयं का उद्यम शुरू करने के लिए बैंक से ऋण देने की संतुति देगी।
मैं समझता हूं यह घोषित योजना भारत व उसके समाज के लिए अभूतपूर्व बदलाव लाने वाली है। यदि प्रत्यक्ष लाभों को देखे तो 10 वी, 12 वी पास लोगों के लिए अपने स्किलों को पहचानने और उसमे भारतीय सेना के अनुशासन में सीखने का स्वर्णिम अवसर है। जो उन्हें एक तरफ आत्मविश्वास व स्वाभिमान देगा वहीं कम उम्र में स्वतः लोगो को रोजगार देने वाला उद्यमी बनने का सुअवसर भी प्रदान करेगा।
अब इससे हट कर एक गंभीर विचार की तरफ बढ़ते है। मैं इस योजना को भारतीय सेना में बढ़ते हुए पेंशन व उस सेना के स्थायित्व को बनाए रखने में बढ़ रहे खर्चों के दबाव को कम करने का, भारत की सरकार द्वारा निकला गया हल नहीं समझ रहा हूं। मैं इसको मोदी सरकार द्वारा दिया गया एक संकेत समझ रहा हूं। मेरा मानना है की भारत को क्षितिज पर आसन्न संकट के बादल दिखने लगे है। भारत एक लंबे अंतराल तक चलने वाले, इस दशक में होने वाले एक बड़े महायुद्ध की पूर्व तैयारी कर रहा है। यह युद्ध सिर्फ भारत की सीमाओं या बाहर ही नहीं होगा बल्कि आंतरिक भी होगा।
भारत इसीलिए कम समय में, भारतीय युवाओं की एक शृंखला तैयार कर रही है जो भारतीय सेना की छत्रछाया में अनुशासन व प्रशिक्षित होंगे। वे 75% युवा, युवती जो सेना में समायोजित न हो कर भारतीय समाज में जायेंगे, वे आपातकालीन स्थिति में भारत के लिए एक प्रशिक्षित रक्षित बल के रूप में उपलब्ध होंगे। भारत को एक लंबे उथलपथल के काल में या फिर खिंचते हुए युद्ध में अप्रशिक्षित युवाओं की सेना में अक्समिक भर्तियों के दोराहे पर नही खड़ा होना होगा क्योंकि उसके पास स्वयं में एक प्रशिक्षित व अनुशासित मानव संसाधन उपलब्ध होगा।
मैं समझता हूं की भारत की जनता को इस दशक में होने वाले एक लंबे संघर्ष के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाना चाहिए। यह दशक, विध्वंस से पुनर्निर्माण और स्थापित मूल्यों व व्यवस्थाओं के रक्तिम बदलाव का दशक है। मेरा दृढ़ विश्वास है की इसमें भारत सफलतापूर्वक अवश्य निकल जायेगा लेकिन उसके लिए हमे भारी कीमत देनी होगी, जिसके लिए मन, तन व धन तीनो ही अहरन पर होंगे।