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Saturday, September 2, 2023

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Friday, July 14, 2023

Chandrayan 3 Mission लाइव Broadcasting - चंद्रयान 3 मिशन लाईव ब्रॉडकास्टिंग


चंद्रयान -3 की लैंडिंग की लाइव ब्रॉडकास्टिंग








भारत के तीसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' (Chandrayaan-3) को लॉन्च कर दिया गया है। चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरा। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। 'चंद्रयान-3' को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया है। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। वहीं, पीएम मोदी ने ट्वीट कर शुभकामनाएं दीं और कहा कि आज का दिन सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा।



इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने जिस ऑर्बिट में छोड़ा है वह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) है. पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था. इस बार यह कक्षा इसलिए चुनी गई है ताकि चंद्रयान-3 को ज्यादा स्थिरता प्रदान की जा सके.

ISRO प्रमुख सोमनाथ ने 600 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत वाले इस मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना है। इसरो के अधिकारियों के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया । चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण कक्ष (एमसीसी) से कहा कि रॉकेट ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है।


पीएम मोदी ने किया ट्वीट

चंद्रयान 3 लॉन्च से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, '14 जुलाई 2023 की तारीख भारत के स्पेस सेक्टर के इतिहास में सवर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा. चंद्रयान 3 हमारा तीसरा चांद पर तीसरा मिशन है, जो अपना सफर शुरू कर रहा है. ये बेहतरीन मिशन हमारे देश की उम्मीदों और सपनों को लेकर जा रहा है. चंद्रयान 3 तीन लाख किमी का सफर तय करेगा और आने वाले हफ्तों में चांद पर पहुंच जाएगा. इसमें लगे साइंटफिक उपकरण चांद की सतह के बारे में अध्ययन करेगा और हमारे भी ज्ञान को बढ़ाएगा.'